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help of Facebook capacity of Bamboo India increased in five years working to increase the income of farmers

help of Facebook capacity of Bamboo India increased in five years working to increase the income of farmers

फेसबुक की मदद से पांच साल में बढ़ी Bamboo India की क्षमता, किसानों की आय बढ़ाने के लिए कर रहा काम

भारत में हम साल में 250 करोड़ से ज्यादा टूथब्रश कचरे में फेक देते हैं। भारत के लगभग 10 फीसदी लोग अगर प्लास्टिक टूथब्रश की जगह बांस से बने टूथब्रश इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं तो बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।”

ब्रांड डेस्क। मनुष्य के स्वस्थ जीवन में पर्यावरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसा देखा गया है कि कई युवा पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए और इस क्षेत्र में काम करने के लिए अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़ देते है। Bamboo India के फाउंडर योगेश शिंदे एक ऐसे ही प्रतिभावान व्यक्ति हैं। इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य लोगों में बैंबू यानी बांस की धारणा को बदलना है, ताकि लोग सामान्य प्लास्टिक के उत्पादों की जगह बांस के टूथब्रश, बांस के ईयरबड्स और कई नेचुरल उत्पादों को इस्तेमाल में लाएं। 15 अगस्त 2016 में पुणे में अपनी कंपनी की स्थापना करने से पहले योगेश जर्मनी में कॉर्पोरेट की जॉब कर रहे थे। वह अपने देश के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे, इसलिए वे भारत लौट आए और फिर Bamboo India की स्थापना की।

उन्होंने महीनों तक किसानों से बात की और यह पता लगाया कि बांस को और अधिक लोकप्रिय कैसे बनाया जाए। उन्होंने महसूस किया कि मौजूदा प्लास्टिक उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बांस के उत्पादों को ज्यादा आकर्षक और मजबूत बनाने की जरूरत है और इसी चीज की उन्होंने मार्केटिंग भी की, जिसमें फेसबुक ने उनकी काफी मदद की।

उन्होंने महीनों तक किसानों से बात की और यह पता लगाया कि बांस को और अधिक लोकप्रिय कैसे बनाया जाए। उन्होंने महसूस किया कि मौजूदा प्लास्टिक उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बांस के उत्पादों को ज्यादा आकर्षक और मजबूत बनाने की जरूरत है और इसी चीज की उन्होंने मार्केटिंग भी की, जिसमें फेसबुक ने उनकी काफी मदद की।

हमारे पास बहुत बांस उपलब्ध है, लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं है। IT में 14 साल का बड़ा एक्सपीरियंस लिए योगेश शिंदे ने इस चीज पर काफी रिसर्च किया। इसके लिए उन्होंने अपकी कंपनी से एक साल के लिए ब्रेक लिया। लेकिन जैसे-जैसे इस पर काम करना शुरू किया और इसमें गहरे उतरते गए तो उन्हें नौकरी पर वापस जाने का मन ही नहीं किया। आज Bamboo India अच्छी तरह से ग्रो कर रहा है। इसके जरिए योगेश ने सीधे तौर पर 42 लोगों को नौकरी दी है। ये 4000 किसानों के साथ काम कर रहे हैं और 15 देशों में बांस से बने उत्पादों को निर्यात किया जा रहा है। इस साल का टर्नओवर 3.8 करोड़ रहा। इस तरह योगेश ने कॉरपेट करियर के रूप में अपनी यात्रा की शुरुआत की और अब एक सफल सोशल एंटरप्रेन्योर के रूप में काम कर रहे हैं।

आस-पड़ोस की लोगों की आय बढ़ाने में Bamboo India की भूमिका Bamboo India का बिजनेस करने का तरीका काफी अलग है और इसके फाउंडर योगेश का मानना है कि लोगों को सब्सिडी या कर्ज देने से अच्छा है कि उन्हें काम दिया जाए। इनकी कंपनी Bamboo India भी ज्यादा से ज्यादा किसानों को काम देना चाहती है। इन्होंने पुणे के आसपास के किसानों के साथ टाइअप किया है और उन्हें बांस उगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह सिर्फ उनसे बांस नहीं लेते, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि प्रोडक्ट के लिए बांस को कैसे तैयार किया जाए, ताकि बांस का ट्रांसपोर्टेशन कम से कम हो और लागत भी कम आए। यह किसान के साथ-साथ कंपनी दोनों के लिए फायदेमंद है। किसानों को बांस और मजदूरी दोनों के पैसे मिलते हैं।

 

कई तरह के आकर्षक प्रोडक्ट्स का उत्पादन

Bamboo India कई तरह के आकर्षक प्रोडक्ट्स जैसे बांस के स्पीकर्स, टूथब्रश, ईयरबड्स आदि बनाते हैं। इन्होंने सबसे पहले स्पीकर्स से इसकी शुरुआत की थी। उसके बाद इन्होंने बैंबू टूथब्रश बनाया जिसकी ब्रिकी सबसे ज्यादा हुई। पांच साल के अंदर इस प्रोड्क्ट की बिक्री 40 लाख हो गई है। इनके प्रोडक्ट अमेजन, फ्लिपकार्ट, इनकी अपनी वेबसाइट और 16 अलग-अलग वेबसाइटो पर उपलब्ध है। इसके अलावा इनके ऑफलाइन स्टोर्स भी हैं। भारत के बाहर तकरीबन 18 देश हैं जिनको नियमित रूप से प्रोडक्ट निर्यात किए जा रहे हैं। इसमें अमरीका, कनाडा, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया आदि शामिल है।

कारोबार को नई दिशा देने में फेसबुक की भूमिका

योगेश मानते हैं कि Bamboo India की सफलता के पीछे फेसबुक का पूरा साथ है। क्योंकि बाजार में जब भी कोई नया प्रोडक्ट आता है, तो उसकी खूबियों के बारे में कस्टमर्स को कैसे जानकारी दी जाए, वो भी कम लागत में छोटे व्यपारियों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। ऐसे स्थिति में योगेश जैसे छोटे व्यपारियों को फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप से बहुत ही ज्यादा मदद मिलती है। ये ऐसे प्लैटफॉर्म है जो कम से कम बजट में पूरा एक्सपोजर देते हैं। इसके जरिए आप सीधे कस्टमर्स से जुड़ सकते हैं। वहीं, दूसरे मीडिया हाउस के जरिए विज्ञापन कराना काफी महंगा पड़ता है।

Bamboo India की टीम ने फेसबुक और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल किया और सीधे कस्टमर्स को टारगेट किया। इसके जरिए उन्होंने न केवल अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग की, बल्कि हर उम्र के लोगों को सलेक्टिव रूप से टारगेट किया है। जिनकी रूचि सस्टेनेबिलिटी या प्लास्टिक वेस्ट प्रोडक्ट्स में थी, इनकी टीम ने फेसबुक के जरिए उन्हें भी टारगेट किया है। इससे इनके प्रोडक्ट के लिए बाजार बढ़ा।

फेसबुक या इंस्टाग्राम पर मार्केटिंग करने से ये पूरे डेटा को ट्रैक भी कर सकते हैं कि इसका इम्प्रेशन कितना हुआ है, कितने लोगों ने देखा, कितने लोगों ने लाइक और कमेंट किए। वहीं बात करें दूसरे प्लैटफॉर्म की तो वहां विज्ञापन को देखने के बाद लोग भूल जाते हैं, लेकिन फेसबुक पर लोग अपना फीडबैक देते हैं, जिस पर विचार करके Bamboo India ने अपने प्रोडक्ट को बेहतर किए। आज भी कस्टमर्स इन्हें इनके प्रोडक्ट्स पर फीडबैक देते हैं। वो बैंबू टूथब्रश पर वैराइटी प्रोडक्ट लाने का सुझाव देते हैं। अल्ट्रा या नैनो सॉफ्ट ब्रश बनाने के लिए फीडबैक देते हैं। यह सब चीजें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ही संभव है।

टार्गेट ऑडिएंस तक पहुंचने में फेसबुक ने की मदद

फेसबुक इस्तेमाल करने के लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत नहीं होती है। इसे आप खुद ही ऑपरेट कर सकते हैं। इसमें आसानी से आपका ऑर्डर प्रोसेस हो जाता है, आपका टारगेट ऑडियंस सेट हो जाता है और विज्ञापन चलना शुरू हो जाता है और उसका परिणाम भी आप ट्रैक कर सकते हैं। छोटे व्यवसाय को चलाने के लिए यह बहुत ही शानदार फीचर है।

 

पांच साल में बढ़ी Bamboo India की क्षमता

Bamboo India की जब शुरुआत हुई उस समय कंपनी केवल 100 बैंबू टूथब्रश बनाया करती थी और उन 100 टूथब्रश को बेचने में भी काफी परेशानी होती थी। क्योंकि वह मैनुअल प्रोसेस था और तब योगेश की टीम नया-नया कुछ सीख रहे थी। लेकिन पांच साल मे Bamboo India की क्षमता बढ़ चुकी है। इन्होंने अब रॉ मटेरियल और स्प्लाई चेन को इस तरह से विकसित कर लिया है कि आज के समय ये 50000 से भी ज्यादा

 

बैंबू के टूथब्रश बना सकते हैं।

Bamboo India की ग्रोथ में इंस्‍टाग्राम रील्‍स की भूमिका आज के समय में इंस्‍टाग्राम रील्‍स की लोकप्रियता काफी बढ़ रही है खासकर युवाओ में। अगर आपके पास क्रिएटिव कॉन्टेंट है, तो आसानी से इसके जरिएकस्टमर्स को आकर्षित किया जा सकता है और उनसे कनेक्ट हो सकते हैं। Bamboo India अपने कारोबार को बढ़ाने के इंस्‍टाग्राम और उसके फीचर्स का पूरा इस्तेमाल करता है। बता दें रील्स के छोटे-छोटे वीडियो का प्रभाव सटीकता के साथ दूर तक जाता है। एक बार के लिए आप तस्वीरों को स्किप कर सकते हैं, लेकिन सूदिंग साउंड या अट्रैक्टिव हो तो हर कोई उसे देखना चाहेगा। इंस्टाग्राम रील्स के साथ भी यही होता है। योगेश का मानना है कि “सस्टेनेबिलिटी या नेचुरल प्रोडक्ट्स आज मार्केट की जरूरत है। आज के समय में हर कस्टमर यह चाहता है कि वह अपनी तरफ से पर्यावरण में योगदान दे सके। यहां हमें लोगों तक पहुंचाना है और बताना है कि नेचुरल प्रोडक्ट्स मार्केट में उपलब्ध है। उन्हें बताना है कि यह प्लास्टिक का बहुत ही अच्छा रिप्लेसमेंट है, बांस के ईयरबड्स इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। कस्टमर्सतक इस तरह की जागरुकता फैलाने के लिए इंस्टाग्राम रील्स या फेसबुक जैसे माध्यम बहुत ही काम आते है।”

व्‍हाट्सऐप के जरिये कम्‍युनिकेशन करना कितना आसान

आज का समय टेक्नोलॉजी का है और व्‍हाट्सऐप ने एक नया फीचर लॉन्च किया है, जिसका नाम है “व्‍हाट्सऐप फॉर बिजनेस”। इसमें कैटलॉग शेयर किया जाता है, कस्टमर्स के साथ वन टू वन बात की जाती है। बैंबू टूथब्रश पर्सनल केयर की चीज है और लोग इसको लेकर काफी सचेत रहते हैं। इसलिए व्हाट्सऐप के जरिए वह सीधे सवाल भी करते हैं, जैसे यह किस तरह का प्रोडक्ट है, कितना हाइजनिक है, पेमेंट के बाद प्रोडक्ट आएगा या नहीं। व्‍हाट्सऐप के माध्याम से ही Bamboo India की टीम कस्टमर्स का पूरा जवाब देती है। इससे कस्टमर्स का इनके प्रति एक विश्वास भी विकसित होता है।

Bamboo India को लेकर भविष्‍य की योजनाएं

Bamboo India के भविष्य को लेकर योगेश काफी आशान्वित हैं। इनका सपना है कि 1000 से ज्यादा किसानों को फुल टाइम जॉब दें। वह अपने इस सपने के करीब भी पहुंच रहे हैं। अभी ये 4000 किसानों के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन उनका मुख्यकाम आनाज उगाना है, बांस उगाने के काम को वह पार्ट टाइम काम के तौर पर देखते हैं। लेकिन योगेश चाहते हैं कि लोग या किसान विशेष रूप से बांस की खेती करें। योगेश कहते हैं कि “भारत में प्लास्टिक टूथब्रश का प्रदूषण बहुत ही ज्यादा है।

भारत में हम साल में 250 करोड़ से ज्यादा टूथब्रश कचरे में फेक देते हैं। भारत के लगभग 10 फीसदी लोग अगर प्लास्टिक टूथब्रश की जगह बांस से बने टूथब्रश इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं तो बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।”

यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।

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